राष्ट्रीय सनातन संघ के बारे में अधिक जाने

एक-दूसरे की मदद करने से
दुनिया बदल सकती है

राष्ट्रीय सनातन संघ अपनी स्थापना के बाद से ही शिक्षा, ग्रामीण विकास, महिला सशक्तिकरण, पर्यावरण संरक्षण, स्वास्थ्य देखभाल, आजीविका निर्माण और अन्य सामाजिक कल्याण गतिविधियों में अपने लक्ष्यों और उद्देश्यों की दिशा में काम कर रहा है। शासन की प्रकृति, सरकारी और गैर-सरकारी मानसिकता की अंतर्निहित गतिशीलता और संगठन के बातचीत के जनादेश के पेशेवर निष्पादन के साथ, हमारे संगठन को एक अद्वितीय चरित्र के साथ एक अद्वितीय संगठन बनाती है, और इसे महत्व देने की आवश्यकता है। अपनी स्थापना के दिन से, संगठन जीवन और कार्य के लिए सभ्य परिस्थितियाँ सुनिश्चित करने के लिए दूरदराज और जमीनी स्तर के समुदायों का समर्थन कर रहा है।
हम अपने अथक प्रयासों और सामाजिक मुद्दों के प्रति अटूट प्रतिबद्धता के माध्यम से दुनिया को एक बेहतर जगह बनाने के लिए समर्पित व्यक्तियों की एक टीम हैं।
  • डोनेट करें

    आपका वित्तीय समर्थन हमें अपना महत्वपूर्ण कार्य जारी रखने में मदद करता है।

  • स्वयंसेवा

    समर्पित स्वयंसेवकों की हमारी टीम में शामिल हों और बदलाव का हिस्सा बनें।

हमारा लक्ष्य

हमारा मिशन है समाज को समृद्धि, सामाजिक समानता, और मानवाधिकार के माध्यम से सशक्त बनाना। हम प्रतिस्पर्धात्मक दुनिया में विकास के लिए व्यक्तिगत और सामाजिक परिवारों का समर्थन करते हैं, ताकि समृद्धि की दिशा में एक सकारात्मक योगदान किया जा सके। हम अवसाधन से लबालब आने वाले क्षेत्रों में काम करते हैं, जैसे कि शिक्षा, स्वास्थ्य, और आर्थिक समृद्धि, ताकि हम उद्देश्यानुसार और सशक्त समाज की ओर साथ बढ़ सकें।

हमारा उद्देश्य

राष्ट्रीय सनातन संघ का लक्ष्य समृद्ध, सामर्थ्यपूर्ण और न्यायसंगत समाज के निर्माण का है। हम एक ऐसे समाज की दिशा में काम कर रहे हैं जो विभिन्न वर्गों और समुदायों के लोगों के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन और विकास का साधन करता है। हम ज्ञान, शिक्षा और सृजनात्मकता के माध्यम से अपार संभावनाओं का समर्थन करते हैं ताकि व्यक्ति और समुदाय समृद्ध और आत्मनिर्भर बन सकें।

राष्ट्रीय सनातन संघ उत्तर प्रदेश टीम का सिद्धांत

  1. उद्देश्य का सिद्धान्त - उद्देश्य के बिना संगठन का निर्माण नहीं किया जा सकता है, अतः संगठन के प्रत्येक भाग का उद्देश्य स्पष्ट हो ना चाहिए। संगठन में कार्यरत सभी व्यक्तियों को संगठन के उद्देश्य स्पष्ट होने चाहिए। उद्देश्य निश्चित न होने पर मानव एवं मानव सामग्री का कुशल एवं प्रभावी उपयोग नहीं किया जा सकता है।
  2. समन्वय का सिद्धान्त - समन्वय संगठन के समस्त सिद्धान्तों को अभिव्यक्त करता है। संगठन का उद्देश्य ही उपक्रम के विभिन्न विभागों पर किये जाने वाले कार्य में समन्वय स्थापित करता है।
  3. विशिष्टीकरण का सिद्धान्त - व्यक्ति की इच्छा एवं कार्य क्षमता के अनुसार ही कार्य सौंपा जाना चाहिए जिसको करने में वह सक्षम है। तो वह उस कार्य में दक्षता प्राप्त करता है। इस सिद्धान्त के पालन से विभागों एवं कर्मचारियों की कार्य क्षमता में भी वृद्धि होती है।
  4. अधिकार का सिद्धान्त - सर्वोच्च सत्ता से अधिकारों के हस्तान्तरण के लिए पद श्रेणी क्रम का निश्चित निर्धारण होना चाहिए। प्रत्येक कार्य के संबंध में अधिकारों का उचित निर्धारण किया जाना चाहिए।
  5. उत्तरदायित्व का सिद्धान्त - अधिकार एवं दायित्व साथ-साथ होने चाहिए। अधीनस्थ कर्मचारियों के द्वारा किये गये कार्यों के लिए उच्च अधिकारियों का पूर्ण दायित्व होता है।
  6. व्याख्या का सिद्धान्त - प्रत्येक संगठन में हर एक की स्थिति लिखित में स्पष्टतः निर्धारित की जानी चाहिए। प्रत्येक कर्मचारी के कर्तव्य, दायित्व, अधिकार व संबंधों की स्पष्ट व्याख्या की जानी चाहिए।
  7. आदेश की एकता का सिद्धान्त - संगठन में कार्यरत व्यक्ति एक समय में एक ही अधिकारी की सेवा कर सकता है अतः एक समय में एक ही अधिकारी से आदेश प्राप्त कर सकता है। एक से अधिक अधिकारियों से आदेश प्राप्त होने पर उसकी कार्य रूचि पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।
  8. अनुरूपता का सिद्धान्त - यदि व्यक्ति के दायित्व अधिकारों की तुलना में अधिक है तो वह उन्हें पूरा नहीं कर सकता है तथा व्यक्ति के अधिकार दायित्वों की तुलना में अधिक है तो वह उनका दुरूपयोग करने की कोशिश करेगा। अतः दोनों ही स्थितियाँ संगठन के लिए अच्छी नहीं है।
  9. नियंत्रण के विस्तार का क्षेत्र - नियंत्रण के क्षेत्र के विस्तार से आशय एक अधिकारी द्वारा विभिन्न अधीनस्थों की क्रियाओं पर नियंत्रण से है।

सबकी मदद के लिए तैयार

हमारी टीम

राष्ट्रीय सनातन संघ की शुरुआत करने वाले, हमारे संस्थापक ने एक दृढ़ संकल्प और एक मिशन के साथ इस संगठन की नींव रखी। हमारे संस्थापक ने सामाजिक और आर्थिक समृद्धि की दिशा में अपना समर्थन और समर्पण दिखाया है। उनकी प्रेरणा और संघर्ष की कहानी को सुनकर आपको प्रेरित होने का अवसर मिलेगा। उन्होंने संघ की स्थापना इस उद्देश्य के साथ की कि समाज में सकारात्मक परिवर्तन कैसे लाया जा सकता है और गरीब और असहाय वर्ग की स्थिति को कैसे सुधारा जा सकता है।

विकास गुप्ता
संस्थापक / राष्ट्रीय अध्यक्ष

राष्ट्रीय सनातन संघ की प्रेरणा और सेवा का मार्गदर्शन करने वाले हमारे सदस्यों का हार्दिक स्वागत है। हमारी टीम संघ के संचालन को संचालित करने में पूरी तरह समर्थ है और हमारे मिशन के प्रति विश्वास रखती है। हमारी टीम एक व्यक्तिगत समर्थन प्रदान करती है, जिसमें शिक्षा, स्वास्थ्य, और सामाजिक सुधार के कई पहलु शामिल हैं। हम समर्पित हैं कि समाज को सुधारने के लिए मिलकर काम करें, और हमारे द्वारा किए जाने वाले कार्यक्रमों के माध्यम से एक समृद्ध और समर्थ समाज के निर्माण में योगदान करें।

दीपक दुबे
राष्ट्रीय अध्यक्ष युवा प्रकोष्ठ

राजेश प्रताप सिंह
राष्ट्रीय उपाध्यक्ष

सुमेश त्यागी
राष्ट्रीय महासासिव

दिग्विजय सिंह
राष्ट्रीय संगठन सचिव

प्रताप सिंह चौहान
राष्ट्रीय संगठन मंत्री

मनीषा बिष्ट
राष्ट्रीय अध्यक्ष महिला प्रकोष्ठ

रचना बेन पटेल
राष्ट्रीय उपाध्यक्ष महिला प्रकोष्ठ

दीपक मिश्रा
राष्ट्रीय अध्यक्ष गो रक्षा प्रकोष्ठ

अमित चौधरी
राष्ट्रीय संगठन सचिव

आतिश गुप्ता
राष्ट्रीय संयोजक

संत सुरेश्वर पुरी जी महराज निरंजनी अखाड़ा
राष्ट्रीय उपाध्यक्ष गोरक्षा प्रकोष्ठ

नितिन उपाध्याय
राष्ट्रीय प्रभारी

विक्रम गोस्वामी
राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी

अघोरी मुर्खानंद महाराज
राष्ट्रीय सलाहकार

सूरज द्विवेदी
राष्ट्रीय सोशल मीडिया प्रभारी

रिंकू पाण्डेय
प्रदेश नियुक्ति प्रभारी उत्तर प्रदेश

आलोक गुप्ता (टिल्लू)
प्रदेश अध्यक्ष मुख्य प्रकोष्ठ उत्तर प्रदेश

राजेश मिश्रा
प्रदेश सचिव मुख्य प्रकोष्ठ