ट्रस्ट के उद्देश्य

हम सभी जरूरतमंद की
मदद के लिए हैं

हम एक सामाजिक ट्रस्ट हैं जो मानवता के मूल मूल्यों को बढ़ावा देने का संकल्प लिए हुए हैं। हमारा मिशन संयमित वित्तीय संसाधनों के साथ उन लोगों की मदद करना है जो हमारे समाज के सबसे आवश्यकतम और असहाय अनुभाग में हैं।

राष्ट्रीय सनातन संघ RSS संगठन का विधि एवं नियम

संगठन के मुख्य प्रकोष्ठ के प्रत्येक स्तर के सदस्यो एवं कार्यकर्ताओ को सूचित किया जाता है कि संगठन के विधान एवं नियमो का अध्ययन नही करने के कारण विभिन्न स्तरों पर वाद विवाद उत्पन्न होने की संभावना बनी रहती है तथा प्रोटोकॉल का उलंघन भी होता रहता है। अतः इस आदेश को संगठन के नियमो का हिस्सा समझा जाकर पढ़ा जाए व अमल में लाया जाए।

संगठन में नियुक्तियों या निष्काशन का अधिकार

भाग १ - राष्ट्रीय अध्यक्ष मुख्य प्रकोष्ठ में राष्ट्रीय, प्रदेश, जिला, तहसील या उससे नीचे ऊपर किसी भी स्तर पर स्वयं या किसी भी सदस्य या पदाधिकारी को लिखित पत्र, ईमेल, Whatsapp, Messenger या सोशल मिडीया के अन्य माध्यम से निर्देशित कर नियुक्ति कर सकता है।

भाग २ - मुख्य प्रकोष्ठ के जोनल अध्यक्ष अपनी कार्यकारिणी व उनके अधीन आने वाले समस्त राज्यो के प्रकोष्ठों के प्रदेशाध्यक्ष पद के लिए उस राज्य की मुख्य शाखा के प्रदेशाध्यक्ष को नियुक्ति की सिफारिश कर सकता है, जिसे जाँच पड़ताल के बाद प्रदेशाध्यक्ष मान्य करेगा अन्यथा अपनी मर्ज़ी से योग्य व्यक्ति को नियुक्त करेगा।

भाग ३ - मुख्य मोर्चा के राष्ट्रीय नियुक्ती प्रभारी अपने अधीन समस्त प्रकोष्ठों के प्रदेशाध्यक्ष को एवं अपनी प्रदेश कार्यकारिणी की नियुक्ति करेंगे।

भाग ४- प्रकोष्ठों के प्रदेशाध्यक्ष अपनी प्रदेश कार्यकारिणी एवं सम्बंधित प्रकोष्ठ के संभाग अध्यक्ष की नियुक्ति करेंगें।

भाग ५ - मुख्य कार्यालय व प्रकोष्ठों के संभाग अध्यक्ष अपनी कार्यकारिणी एवं अपने अधीन आने वाले जिलाध्यक्ष की नियुक्ति करेंगे।

भाग ६ - मुख्य कार्यालय व प्रकोष्ठों के जिलाध्यक्ष अपने अधीन आने वाली जिला कार्यकारिणी एवं तहसील, ग्राम या इससे निचे स्तर के अध्यक्ष की नियुक्ति करेंगे या तहसील अध्यक्ष को कार्यकारिणी बनाने का निर्देश देंगे।

भाग ७ - मुख्य कार्यालय व प्रकोष्ठों के कार्यवाहक प्रदेशाध्यक्ष या प्रदेश महासचिव अपने प्रदेशाध्यक्ष के आदेश की अनुपालना में ही उनकी नियुक्ति शक्ति का उपयोग कर सकते है। किंतु उन्हें आपस मे फोन, लिखित या व्यक्तिगत रूप से मिलकर आपस मे समन्वय करके नियुक्ति करनी होगी।

भाग ८ - कोई भी पदाधिकारी किसी अन्य पदाधिकारी की नियुक्ति शक्ति को ओवरटेक नही कर सकता, पदाधिकारी स्वयं सहमति दे तो ही कर सकता।

भाग ९ - संगठनात्मक दौरे पर जाने वाला पदाधिकारी सर्वप्रथम तो अपनी नियुक्ति शक्ति के अधीन ही आने वाले पदाधिकारी की नियुक्ति कर सकता है किंतु उस क्षेत्र की टीम से विचार विमर्श भी करना आवश्यक है।

भाग १० - व्यक्तिगत दौरे व्यक्तिगत दौरे को संगठनात्मक दौरे के रूप में नही माना जायेगा। व्यक्तिगत दौरे में संबंधित क्षेत्र के पदाधिकारी मिलने आये या न आये यह उनके आपसी संबंध पर निर्भर करेगा, इस पर कोई दबाव नही है। यदि किसी पदाधिकारी का किसी क्षेत्र में व्यक्तिगत दौरा हो किन्तु उसके अधीन आने वाली कार्यकारिणी की संगठनात्मक मीटिंग लेने का इच्छुक हो तो इस संबंध में राष्ट्रीय अध्यक्ष, मुख्य शाखा व संबंधित प्रकोष्ठ के प्रदेशाध्यक्ष व सम्बंधित क्षेत्र के वरिष्ठतम पदाधिकारी को संगठन के व्हाट्सऐप ग्रुप, व्यक्तिगत फोन पर सूचना देनी होगी ताकि वह पदाधिकारी क्षेत्र के कार्यालय में मीटिंग रख सके तथा उक्त बैठक में उस क्षेत्र के सभी मुख्य या प्रकोष्ठ के सदस्यो को उपस्थित होना होगा तथा अपने कार्यो एवं समस्याओं से अवगत करवाना होगा। उक्त दौरे में आये पदाधिकारी की यथायोग्य श्रद्धानुसार स्वागत सम्मान व मीटिंग का खर्च उक्त क्षेत्र के टीम मेम्बर्स आपसी कॉन्ट्रिब्यूशन से करेंगे। सम्बंधित पदाधिकारी के रहने खाने की व्यवस्था उसको अपने निजी स्तर पर करनी होगी। क्षेत्र की टीम अपनी इच्छा से भोजन व रहने की व्यवस्था करना चाहे तो कर सकती है।

भाग ९९ - दौरे में जाने पर किसी भी पूर्व पदाधिकारी द्वारा स्वागत सत्कार को व्यक्तिगत ही माना जावे तथा दौरे पर जाने से पूर्व उस क्षेत्र के समस्त वर्तमान व पूर्व पदाधिकारियों की जानकारी उस क्षेत्र के वरिष्ठतम सदस्य से ली जानी चाहिए।

भाग १२ - मुख्य कार्यालय व प्रकोष्ठ के प्रदेशाध्यक्ष यदि चाहे तो अपनी नियुक्ति शक्ति को कार्यवाहक प्रदेशाध्यक्ष व प्रदेश महासचिव या अन्य प्रदेश कार्यकारिणी के पदाधिकारियों के बीच राज्यो में मौजूद संभागों के हिसाब से बांट सकता है।

भाग १३ - संगठन का कोई भी सदस्य न तो किसी से नीचा है न ऊँचा किन्तु संगठन के पदों के प्रोटोकॉल का ओर एक दूसरे के आत्मसम्मान का विशेष ध्यान रखा जाए, उच्च पदाधिकारियों को अपने अधीन पदाधिकारियों को विनम्रतापूर्वक आदेश/निर्देश देना चाहिए ।

भाग १४ - संगठन का कोई पदाधिकारी अन्य संगठन में बिना सूचना दिए कोई पद या नियुक्ति लेता है तो हमारे संगठन से उसकी नियुक्ति या सदस्यता स्वत्: ही रद्द समझी जाएगी।

भाग १५ - किसी भी प्रकार के वाद विवाद में राष्ट्रीय अध्यक्ष या राष्ट्रीय अध्यक्ष के निर्देश पर कोर कमेटी व अनुशासन समिति का संयुक्त निर्णय मान्य होगा।

भाग १६ - कोई भी सदस्य अपने उच्च पदाधिकारियों से त्यागपत्र नही माँग सकता। यदि किसी पदाधिकारी के काम से असंतुष्टि हो तो कोर कमेटी या अनुशासन समिति को व्यक्तिगत रूप से अवगत करवाना होगा।

भाग १७ - यदि किसी भी स्तर पर कोई उच्चतर पदाधिकारी नियुक्त न हो तो उससे निम्नतर पदाधिकारी उस पद की शक्तियों का प्रयोग करेगा। उदहारण के तौर पर यदि मुख्य शाखा या प्रकोष्ठ में जोनल अध्यक्ष नियुक्त नही है तो उसके बाद आने वाले पदाधिकारी उसकी शक्तियों का प्रयोग करेगा।

सभी पदाधिकारियों को निर्देशित किया जाता है कि इस नियम संबंधी आदेश को सुरक्षित पत्रावली में सुरक्षित रखे व आवश्यकता पड़ने पर नियमो का अनुशरण करे।

राष्ट्रीय सनातन संघ के समस्त प्रिय साथी से निवेदन है कि इसको जरूर पढ़ें और इसको आप अपने जिले अपने प्रदेश में जरूर लागू करें संगठन से निर्देशित किया जाता है।

सामान्य प्रश्न

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

यहाँ हम आमतौर पर पूछे जाने वाले प्रश्नों और उनके उत्तरों को साझा करते हैं ताकि आपको हमारे वेबसाइट और सेवाओं के बारे में सब कुछ स्पष्ट हो।

  • जब सेवा नही स्वार्थ का महत्त्व दिया जाता है।
  • जब अवसर नही अवसरवादी की भावना होती है।
  • जब अपने विवेक से कम दूसरों के विवेक से काम करते है।
  • जब काम नही छपास,दिखास ,पद को महत्त्व देते है।
  • जब भावना की जगह व्यवसायकता पर फोकस करते है।

  • मैं नही हम के साथ चले।
  • समर्पित को बढ़ावा दे धन से,समय से,तन से।
  • जरूरत के वक्त काम आए नही कुछ कर सकते तो साहस दे।
  • संगठन का उद्देश्य सामूहिक विकास होता है न कि व्यक्तिगत इसलिये अंतिम कड़ी तक पहुचे जंहा कोई नही पहुचता।
  • सर्जनात्मक और रचनात्मक कार्यो को अधिक से अधिक बढ़ावा दे ताकि प्रथम से लेकर अंतिम पायदान वाला भी जुड़ सके न कि दूर हो।